Skip to main content

कोरोना वर्ल्ड वॉर-3 से कम नहीं है, हम कई चुनौतियों को पार करते आए हैं, हम इसे भी पार कर लेंगे: श्री श्री

बुधवार को फिल्म निर्माता-निर्देशक करण जौहर ने ‘हार्ट टू हार्ट’ सीरिज के पहले कार्यक्रम में आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर से बातचीत की। कार्यक्रम की शुरुआत अभिनेता इरफान खान को श्रद्धांजलि देकर की। बातचीत में काेरोना, प्रेम, रिश्ते, रूढ़ियों, आध्यात्मिकता और धर्म जैसे विषय आए। श्री श्री ने कहा कोरोना विश्वयुद्ध से कम नहीं है। पढ़िए मुख्य अंश-

जौहर: आपने एक बार कहा था कि आपको दुख तभी होता है, जब दूसरों का दुख देखते हैं?
श्री श्री: दुख हमारे विश्वास का कोर नहीं है। जैसे परमाणु की संरचना होती है। उसके काेर में पॉजिटिव प्रोटोन और न्यूट्रॉन होते हैं। निगेटिव पार्टिकल उसके आसपास घूमते हैं। ऐसे ही हम सब के भीतर खुशी और आनंद है। दुख इसके चारों ओर घूमता रहता है। जब हम खुद काे पहचान लेते हैं, तो पाते हैं कि दुनिया में खुशी दुख से ज्यादा है। दुख गहराई देता है। खुशी विस्तार देती है।
जौहर: धर्म व अध्यात्म में क्या फर्क है।
श्री श्री: आध्यात्म लोगों को जोड़ता है। हम पदार्थ और आत्मा दोनों से मिलकर बने हैं। शरीर, एम्यूनो एसिड, कार्बोहाइड्रेड, प्रोटीन से बना है। आत्मा आनंद, उत्साह, दया, चरित्र, आत्मविश्वास से मिलकर बनी है। काेई भी चीज जो आत्मा को मजबूत करे, वो अध्यात्म है।
जौहर: अध्यात्म का रास्ता संपूर्णता की ओर ले जाता है, लेकिन धर्म के रास्ते में क्या कुछ कमी रह जाती है?
श्री श्री: हां। धर्म जन्म, विधि-विधान, परंपराओं का मामला है, लेकिन अध्यात्म व्यक्तिगत होता है। आध्यात्म सभी धर्म के लोगों को एक साथ ला सकता है। धर्म में कुछ प्रतिबंध और रुकावटें होती हैं। यह कोई बुरी बात भी नहीं है। धर्म को कभी-कभी इसकी जरूरत पड़ती है।
जौहर: कैसे पता चलता है कि दो लोगों में जो प्यार है वो सच्चा है?
श्री श्री: रिश्तों में दो चीजें होती हैं, एक प्यार और दूसरा सम्मान। प्यार दूरियों को नहीं मानता। जबकि सम्मान को कुछ दूरियों की जरूरत होती है। जब दो लोग पास आते हैं तो महसूस होता है कि एक-दूसरे का सम्मान खत्म हो रहा है। तब विवाद सामने आता है। विवादों को प्यार का हिस्सा ही मानना चाहिए।
जौहर: दुनिया कोरोना संकट से गुजर रही है। इसके बारे में क्या कहेंगे?
श्री श्री: कोरोनावायरस वर्ल्ड वॉर-3 से कम नहीं है।हम कई चुनौतियों को पार करके आए हैं। हम इसे भी पार कर लेंगे। खुद पर भरोसा रखिए। योगा कीजिए। मेडिटेशन कीजिए। आपको काफी शांति और ताकत मिलेगी।

श्री श्री ने रोचक तरीके से बताए शब्दों के अपने मायने

  • प्यार- प्रकृति।
  • शादी- त्याग का तरीका।
  • सफेद- क्योंकि उसमें सब रंग शामिल हैं।
  • लीडर- हर आदमी के भीतर एक लीडर है और वो आध्यात्मिक है।
  • पैशन (जूनून) क्या है? जो भी मैं करता हूं जूनून के साथ करता हूं।
  • स्टाइल स्टेटमेंट– कीप इट अप।
  • पसंदीदा फिल्म– हर इंसान की कहानी एक फिल्म की तरह है।
  • पसंदीदा गीत- मैं हूं मंजिल, मैं हूं सफर भी, मैं ही मुसाफिर हूं… मैं ही मुसाफिर हूं। (खुद का गाना है)


आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
श्री श्री ने कहा कोरोना विश्वयुद्ध से कम नहीं है।


from Dainik Bhaskar /national/news/corona-is-no-less-than-world-war-3-we-have-overcome-many-challenges-we-will-overcome-it-too-sri-sri-127260096.html
via IFTTT

Comments

Popular posts from this blog

86 नए पॉजिटिव केस मिले, कुवैत से शव नहीं आ पाया तो पुराने कपड़ों से शव बनाकर दाह संस्कार किया, ताकि राख तो नसीब हो

राजस्थान में गुरुवार को 86 नए पॉजिटिव केस सामने आए। जिसमें जोधपुर में 59, जयपुर में 14, अजमेर में 4, चित्तौड़गढ़ में 3, टोंक और कोटा में 2-2, धौलपुर और अलवर में 1-1 संक्रमित मिला। जिसके बाद कुल संक्रमितों का आंकड़ा 2524 पहुंच गया। इसके साथ जयपुर में एक मौत भी सामने आई। जयपुर में चांदी की टकसाल के पास रहने वाले 67 साल के बुजुर्ग की हुई। वहीं इससे पहले देररात भी मौत के 4 मामले सामने आए थे। जिसमेंतीन महिलाएं और एकपुरुष शामिल थे। कुवैत से शव नहीं आ पाया तो पुराने कपड़ों से शव बनाकर अंतिम यात्रा निकाली, दाह संस्कार भी किया, ताकि राख तो नसीब हो कोरोना के कहर के बीच एक झकझोर देने वाला मामला बुधवार को डूंगरपुर के सीमलवाड़ा कस्बे में सामने आया। 15 साल से कुवैत में व्यवसाय कर रहे होटल व्यापारी 56 वर्षीय दिलीप कलाल की कुवैत में माैत हाे गई। दो दिन रिपोर्ट के इंतजार के बाद बुधवार को उनकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई। इस पर उनका शव कुवैत में ही दफनाया गया। सीमलवाड़ा निवासी दिलीप पुत्र पद्मजी कलाल को तेज बुखार आने पर कुवैत के अमीरी अस्पताल में भर्ती कराया था। 15-20 दिन से उनका इलाज चल रहा था। इधर, मृत...

रथयात्रा पर सस्पेंस, लॉकडाउन बढ़ा तो टूट सकती है 280 साल की परंपरा या बिना भक्तों के निकलेगी रथयात्रा

लगभग 280 साल में ये पहला मौका होगाजब कोरोना वायरस के चलते रथयात्रा रोकी जा सकती है। ये भी संभव है कि रथयात्रा इस बार बिना भक्तों के निकले।हालांकि, इस पर अंतिम निर्णय नहीं हुआ है। 3 मई को लॉकडाउन के दूसरे फेज की समाप्ति के बाद ही आगे की स्थिति को देखकर इस पर निर्णय लिया जाएगा। 23 जून को रथ यात्रा निकलनी है। अक्षय तृतीया यानी 26 अप्रैल से इसकी तैयारी भी शुरू हो गई है। मंदिर के भीतर ही अक्षय तृतीया और चंदन यात्रा की परंपराओं के बीच रथ निर्माण की तैयारी शुरू हो गई है। मंदिर के अधिकारियों और पुरोहितों ने गोवर्धन मठ के शंकराचार्य जगतगुरु श्री निश्चलानंद सरस्वती के साथ भी रथयात्रा को लेकर बैठक की है, लेकिन इसमें अभी कोई निर्णय नहीं हो पाया है। नेशनल लॉकडाउन के चलते पिछले एक महीने से भी ज्यादा समय से पुरी मंदिर बंद है। सारी परंपराएं और विधियां चुनिंदा पूजापंडों के जरिए कराई जा रही है। गोवर्धन मठ (जगन्नाथ पुरी) के शंकराचार्य जगतगुरु स्वामी निश्चलानंदजी सरस्वती ने मंदिर से जुड़े लोगों को सभी पहलुओं पर गंभीरता से विचार करते हुए रथयात्रा के लिए निर्णय लेने की सलाह दी है। मठ का मत ही इसमें सबस...

रविशंकर ने कहा- सब काम बिगड़े, तब भी हिम्मत नहीं हारने वाला, मुस्कुराने वाला ही सफल है

हार्ट टू हार्ट की चाैथी कड़ी में आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर से कॉमेडियन कपिल शर्मा ने बात की। उन्हाेंने जीवन में सफलता से लेकर सकारात्मकता हासिल करने जैसे कई सवाल किए। उन्हाेंने श्री श्री से जाना कि माेह और प्रेम में क्या अंतर है। मुख्य अंश... सवाल: हम जीवन में सकारात्मकता चाहते हैं, लेकिन नकारात्मक चीजें ही क्याें आकर्षित करती हैं? नकारात्मकता से ऊपर उठना ही हमारे लिए चुनाैती है। बच्चाें में ऐसी बात नहीं हाेती। उनमें हमेशा सकारामकता अधिक हाेती है। बड़े हाेकर हम नकारात्मकता में दिलचस्पी लेने लगते हैं, लेकिन यह ज्यादा दिन नहीं टिकती। हमें उसे नजरअंदाज कर देते हैं। सवाल: किसी के पास बहुत है, कोई खाली हाथ? यह लेनदेन की दुनिया है। किसी के पास देने के लिए है, ताे किसी काे लेना भी पड़ेगा। जिस तरह फिल्म में सब तरह के भूमिकाएं हाेती हैं, उसी तरह यह दुनिया है। ईश्वर फिल्म के डायरेक्टर हैं। वे साम्यवादी नहीं है, जाे सबकाे एक सा बना दें। सवाल: क्या देर रात तक काम करना सही है? रात में काम करने से काेई परेशानी नहीं, लेकिन जब भी जागें, 10 मिनट चिंतन, मनन, ध्यान करें। मैं इसे मेंटल हाइज...