Skip to main content

देश की पहली काेराेना मरीज उषा ने कहा- संक्रमण हुआ तो डर नहीं लगा, तीन हफ्ते में ही ठीक हो गई थी

देश की पहली काेरोना मरीज केरल की मेडिकल छात्रा उषा राम मनोहर संक्रमण से उबरकर फिर से पढ़ाई में जुट गई हैं। 20 वर्षीय उषा ने बताया कि वह चीन के वुहान में अपने विवि की ऑनलाइन क्लासलेने के साथ खाना पकाने में मां का हाथ भी बंटा रही हैं। तीन महीने पहले जब कोरोना संक्रमित पाए जाने की पुष्टि हुई थी, तो भी डरी नहीं थीं। अस्पताल में ठीक होने में उषा कोतीन हफ्ते लगे। मेडिकल में तीसरे वर्ष की छात्रा ने न्यूज एजेंसी को बताया कि अब कैसी है उसकी लाइफ और क्या बदलाव आए...

‘सेमेस्टर खत्म होने के बाद छुट्टियों हाेने के कारण मैं वुहान विवि से केरल स्थित अपने घर लौटी थी। मुझे गले में खराश और सूखी खांसी थी। 30 जनवरी को मुझे कोरोना पॉजिटिव पाया गया। इसके बाद मुझे त्रिशूर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती किया गया। तीन सप्ताह तक इलाज के बाद मुझे संक्रमण मुक्त पाया गया। 20 फरवरी को मुझे अस्पताल से छुट्टी दी गई। इसके बाद मैंने जल्द ही अपनी ऑनलाइन कक्षाएं लेनी शुरू कर दीं। मेरी क्लास सुबह 5:30 बजे (चीन के समयानुसार सुबह 8 बजे) शुरू होती हैं और सुबह 9 बजे तक चलती हैं। बीच में 10 मिनट का अल्पावकाश मिलता है।

उषा ने कहा- विमान सेवाएं शुरू होने के बाद हीवुहान जा पाएंगे
यूनिवर्सिटीके फैकल्टी मेंबर्स में चीन, पाकिस्तान और श्रीलंका के शिक्षक हैं, लेकिन हमारे संकाय सदस्य ज्यादातर चीन के हैं और वे अंग्रेजी में पढ़ाते हैं। हालांकि, यूनिवर्सिटी ने कहा है कि छात्रों की वापसी पर क्लास नए सिरे से लगेंगी। लेकिन, अभी तक कोई समय सीमा तय नहीं है। हमें बताया गया है कि शायद वुहान में अब कोई मरीज नहीं है, लेकिन विमान सेवाएं शुरू होना जरूरी है, तभी हम वहां जा सकेंगे।’



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
यह फोटो केरल की है। यहां संक्रमण रोकने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। अब तक मिले 498 मरीजों में से 383 ठीक हुए, सिर्फ 4 मौतें हुईं। (फाइल)


from Dainik Bhaskar /national/news/usha-the-countrys-first-cancer-patient-said-did-not-fear-if-the-infection-occurred-it-was-cured-in-three-weeks-127262551.html
via IFTTT

Comments

Popular posts from this blog

पहाड़ पर चढ़ाई के बाद ही मौत के मुंह में पहुंचे; फेफड़े सफेद हो चुके थे, 32 दिन वेंटिलेटर पर रहने के बाद कोरोना से जीती जंग

(पाम बेलुक) मार्च के अंत में मैसाचुसेट्स की किम बेलो ने डॉ. से फोन पर पूछा- क्या मेरे पति लौट आएंगे?’ उनके 49 साल के पति जिम हॉस्पिटल में कोरोनोवायरस से जूझ रहे थे। डॉ. ने कहा- ‘हम कोशिश कर रहे हैं। अगर ईमानदारी से कहूं, तो बचने की संभावना कम है।’ किम बताती हैं- ‘जिम ने 7 मार्च को न्यू हैम्पशायर के 2000 मी. ऊंचे व्हाइट माउंटेन पर चढ़ाई की थी। लौटे, तो तेज बुखार था। खांसी और सीने में जकड़न होने लगी। डॉक्टर ने एंटीबायोटिक्स देकर घर भेज दिया। 6 दिन बाद 103 डिग्री बुखार और सांस लेने में तकलीफ बढ़ी। डॉक्टरों ने तुरंत वेंटिलेटर लगा दिया। जिम ने पूछा- अगर मैं जीवित नहीं लौटा तो... उन्होंने मुझे उसी तरह देखा, जब हम पहली बार मिले थे।’ मैसाचुसेट्स हॉस्पिटल के डॉ. पॉल करियर बताते हैं- ‘जिम का एक्स-रे देखकर हम हैरान रह गए। फेफड़े सफेद पड़ चुके थे। यह मेरी जिंदगी का सबसे खराब चेस्ट एक्स-रे था। हमें लगा कि उन्हें बचा नहीं पाएंगे। फिर भी एक्सपरिमेंटल ड्रग हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन, रेमडीसिविर और वेंटिलेटर आजमाया। इससे काम नहीं बना तो हेल मैरी सिस्टम अपनाया। इसके लिए वेंटिलेटर को 30 सेकंड के लिए हटाना थ...