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हर दिन प्याज के 1000 ट्रक नीलाम होते थे, कई देशों में प्याज का एक्सपोर्ट होता था, इन दिनों सब थम गया; अब व्यापारियों को बांग्लादेश बॉर्डर खुलने का इंतजार

महाराष्ट्र के नासिक में एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी है...लासलगांव प्याज मंडी। देश में प्याज के दाम क्या रहने वाले हैं, ये यहीं से तय होता है। आम दिनों में इस मंडी में एक हजार से ज्यादा प्याज के ट्रकों की नीलामी होती है, लेकिन इस बार यह आंकड़ा 500 से ऊपर नहीं जा रहा।

सरकार की ओर से प्याज को बाहर भेजने पर तो कोई रोक नहीं है लेकिन न किसानों को मजदूर मिल रहे हैं और न ही मंडियों के व्यापारियों को। लॉकडाउन लगतेही दूसरे राज्यों के मजदूर अपने-अपने घर निकल गए थे। यहां ज्यादातर मजदूर यूपी-बिहार और पश्चिम बंगाल से होते हैं। अब हालत यह है कि आम दिनों में मंडी में जहां रोज 20-25 करोड़ और महीने में तकरीबन 750 करोड़ का व्यापार होता है, वहअब 25% तक घट गया है।

मंडी की कृषि उत्पन्न बाजार समिती की अध्यक्ष सुवर्णा जगताप बताती हैं कि व्यापारियों और मजदूरों में कोरोना का डर भी है, इसलिए भी कम ही लोग मंडी आ रहे हैं। हम यहां आने वाले किसानों की स्क्रीनिंग और चेकअप लगातार कर रहे हैं, मंडी को भी हर दिन सैनिटाइज किया जा रहा है ताकि लोगों का डर खत्म किया जा सके। वे यह भी कहती हैं कि किसान और व्यापारियों को नुकसान तो हो रहा है, लेकिन एक अच्छी खबर यह है कि प्याज को बाहर भेजने के लिए सरकार बांग्लादेश बॉर्डर खोल रही है। इससे एक्सपोर्ट बढ़ने की उम्मीद है।

देश में सबसे ज्यादा प्याज महाराष्ट्र में ही पैदा होता है। देश का कुल 37% प्याज यहीं से आता है। साल 2019-20 में राज्य में 90 लाख टन प्याज का उत्पादन हुआ। पिछले साल राज्य से 2655 करोड़ का 14.91 लाख टन प्याज बाहर निर्यात किया गया था।

इस बार लॉकडाउन के चलते एक्सपोर्ट बंद है, ऐसे में एक्सपोर्ट कंपनियां भी किसानों से प्याज नहीं ले रही
पुणे से सटे बारामती में स्थित 'ई बॉल एग्रो' एक बड़ी प्याज एक्सपोर्ट कंपनी है। इसके डायरेक्टर महेश प्रताप लोंढे ने बताया कि उनकी कंपनी का सालाना 500 टन का एक्सपोर्ट बिजनेस है। लेकिन पिछले दो महीने से हुए लॉकडाउन ने उनके बिजनेस को पूरी तरह से ठप कर दिया है। महेश की कंपनी गल्फ देश, इंडोनेशिया और बांग्लादेश समेत 10 देशों में प्याज का एक्सपोर्ट करती है।

महेश बताते हैं, “ट्रांसपोर्ट बंद होने के कारण किसान अपना माल हम तक नहीं पहुंचा सकते, जो कुछ थोड़ा आ भी रहा है, उसे हम बाहर नहीं भेज पा रहे। हमें बाहरी देशों से डिमांड तो है लेकिन लॉकडाउन की वजह से न कंटेनर मिल रहे। न ही इन्हें लोड करने के लिए मजदूर। प्याज को पैक करने के लिए प्लास्टिक मैटेरियल भी नहीं मिल रहा है।" महेश कहते हैं किहम किसानों से प्याज खरीद सकते हैं लेकिन हम उनका करेंगे क्या? जब एक्सपोर्ट ही बंद है तो हम उसे कहां स्टोर करेंगे। इसलिए फिलहाल हमने किसानों से प्याज लेना बंद कर दिया है।

किसान अब खुले बाजार में 10 रुपए किलों के दाम से प्याज बेच रहे
किसान विक्रम कुन्डाल बताते हैं, "फरवरी में हमारे यहां 50 टन प्याज हुआ। हमसे खरीदकर व्यापारी इन्हें एक्सपोर्ट कर देते हैं। अब एक्सपोर्ट बंद हैं तो हम इसे खुले बाजार में 10 रुपए किलो के हिसाब से बेच रहे हैं। पिछले साल मार्च 4 लाख रुपए के प्याज बेचे थे, इस बार यह 1 लाख केभी नहीं बिके।

विक्रम कहते हैं कि प्याज एक कच्ची फसल है, इसे स्टोर करके भी नहीं रखा जा सकता। अगर लॉक डाउन आगे ऐसे ही जारी रहा तो हमारी स्थिति और बिगड़ सकती है।

उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के मुताबिक, 3 फरवरी 2020 को खुदरा बाजार में प्याज औसतन 46.64 रुपए प्रति किलोग्राम के दाम से बिक रहा था। एक महीने बाद यह 32.52 रुपए हो गया।



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देश में 2018-19 के रबी सीजन में 158.28 लाख टन प्याज का उत्पादन हुआ था। इस साल 20 फीसदी ज्यादा प्याज होने की उम्मीद है। लेकिन ट्रांसपोर्ट और एक्सपोर्ट बंद होने के कारण किसानों को अच्छे दाम मिलने में मुश्किल आ रही है।


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