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लॉकडाउन से अब तक 418 लोगों की मौत, सबसे ज्यादा 91 लोगों ने सुसाइड किया, इनमें से कुछ के पास काम नहीं था तो किसी की डर से मौत

कोरोनावायरस। महज 60 नैनोमीटर का है। यानी, इतना छोटा कि पेन से बनाए एक पॉइंट में लाखों कोरोनावायरस रह सकते हैं। इतना छोटा सा वायरस होने के बाद भी इसने दुनियाभर में 2.5 लाख से ज्यादा जानें ले ली हैं।

हमारे देश में ही ये अब तक 22 हजार लोगों ने कोरोना से हारकर दम तोड़ दिया। लेकिन, ये 22 हजार लोग ही नहीं है, जिनकी जान कोरोना ने ली है। इनके अलावा 418 लोग ऐसे भी हैं, जिनकी जान संक्रमण से नहीं बल्कि लॉकडाउन की वजह से हुई। ये आंकड़ा 11 मई तक का है। इस डेटा को तीन रिसर्चर कनिका शर्मा, अमन और थेजेश ने तैयार किया है।

91 लोग ऐसे, जिन्होंने सुसाइड कर लिया
उत्तर प्रदेश में एक शहर है। नाम है-किशनी। यहां एक छोटा सा गांव है रविदासपुर। ये वही गांव है, जहां कभी सत्यम रहा करता था। परिवार का पेट पाल सके, इसलिए सत्यम अपना गांव छोड़कर जयपुर चला गया। वहां वो ईंट की भट्टी में मजदूरी करने लगा। लेकिन, लॉकडाउन लगने की वजह से उसका काम बंद हो गया।

सत्यम लॉकडाउन की वजह से जयपुर में ही फंस गया। उसने 10 मई को घर पर फोन कर कहा को वो गांव वापस आ रहा है। घर पर सब खुश थे। लेकिन, सत्यम घर नहीं आया और उसने जयपुर में अपने कमरे में ही आत्महत्या कर ली।

एक और कहानी

सत्यम ही नहीं, बिहार के गया में रहने वाले 38 साल के राजेश राउत ने भी 9 मई को इसलिए आत्महत्या कर ली, क्योंकि लॉकडाउन के कारण 47 दिन से उनका धंधा बंद था। घर चलाने के लिए भी पैसे की कमी होने लगी थी। जब परिवार में सब परेशान रहने लगे, तो राजेश ने पंखे से साड़ी का फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली।

कोरोना का डर

सत्यम और राजेश की तरह ही कई लोगों ने भी धंधा चौपट होने, काम नहीं मिलने या आर्थिक तंगी की वजह से सुसाइड कर ली। लेकिन, कुछ ऐसे भी थे जिन्होंने सिर्फ इसलिए आत्महत्या कर ली क्योंकि उन्हें ऐसा लग रहा था कि उन्हें कोरोना हो गया है।

राजस्थान के चुरू में वॉचमैन की नौकरी करने वाले 30 साल के मुकेश इसी डर का शिकार हो गए थए। मुकेश ने 18 अप्रैल को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। मुकेश खुद को कोरोना संक्रमित समझ रहा था। उसने सुसाइड नोट में यही लिखा था। हालांकि, उसके मरने के बाद जब कोरोना रिपोर्ट आई, तो वो निगेटिव निकली।

वहीं, पंजाब के मोहाली शहर में रहने वाले 65 साल के ओमकार ने तो इसीलिए आत्महत्या कर ली, क्योंकि प्रधानमंत्री ने लॉकडाउन 14 अप्रैल के बाद भी बढ़ा दिया था।

इन सबको मिलाकर, 11 मई तक कुल 91 लोग सुसाइड कर चुके हैं। ये वो लोग हैं, जिनकी लॉकडाउन के वजह से नौकरी चली गई या काम बंद हो गया या डिप्रेशन में आ गए थे।83 प्रवासी मजदूर घर आने निकले थे, लेकिन रास्ते में ही एक्सीडेंट की वजह से मौत हो गई
लॉकडाउन का सबसे बुरा असर अगर किसी पर पड़ा है, तो वो प्रवासी मजदूरों पर पड़ा है। जब फैक्ट्रियां और काम-धंधे बंद हो गए, तो ये मजदूर अपने घर जाने को छटपटाने लगे। इसी छटपटाहट ने 83 मजदूरों की जान भी ले ली।8 मई को ही महाराष्ट्र के औरंगाबाद में 16 मजदूरों की मौत हो गई थी। ये सभी मजदूर मध्य प्रदेश के थे। लेकिन, महाराष्ट्र के जालना में स्टील फैक्ट्री में काम करते थे। औरंगाबाद से मध्य प्रदेश के लिए कुछ ट्रेनें रवाना हुई थीं। इसलिए, ये मजदूर जालना से औरंगाबाद के लिए रेलवे ट्रैक के किनारे-किनारे निकल पड़े।40 किमी चलने के बाद मजदूर थककर पटरी पर ही सो गए। मजदूर सोए ही होंगे कि कुछ देर बाद एक मालगाड़ी उनके ऊपर से गुजर गई। इससे 14 की तो मौके पर ही मौत हो गई। और दो ने अस्पताल में दम तोड़ दिया।

इन्हीं मजदूरों की तरह 27 मार्च को तेलंगाना के हैदराबाद से एक ट्रक में बैठकर कुछ मजदूर कर्नाटक के लिए निकले। उनकी गाड़ी ने सफर शुरू ही किया था कि हैदराबाद के पेड्डा गोलकंडा के पास ही एक लॉरी में ट्रक को टक्कर मार दी। इससे 8 लोगों की मौत हो गई। इनमें एक 18 महीने का बच्चा और 9 साल की बच्ची भी थी।

शराब नहीं मिलने की वजह से भी 46 मौतें
1 मई से देश के कई राज्यों में शराब की दुकानें फिर से खुल गई हैं। यहां भीड़ भी बहुत आ रही है। लेकिन, 25 मार्च को जब लॉकडाउन लगा, तो उसके साथ देशभर में एक तरह से शराबबंदी भी लागू हो गई। इसका नतीजा ये हुआ कि जिन लोगों की शराब की लत थी, उन्हें शराब नहीं मिल पा रही थी। शराब की लत से परेशान किसी ने सैनिटाइजर पी लिया तो किसी ने वॉर्निश। इसका नतीजा ये हुआ कि शराब की लत की वजह 46 लोग जान गंवा बैठे।

तीन दोस्तों की मौततमिलनाडु के चेंगलपट्टू में शिवशंकर, प्रदीप और शिवामरन रहते थे। तीनों की शराब की लत थी। लेकिन, लॉकडाउन के कारण उन्हें शराब नहीं मिली। इससे परेशान होकर तीनों ने 6 अप्रैल को पेंट में वॉर्निश मिलाकर पी लिया। इससे तीनों की मौत हो गई। इनके अलावा, 12 अप्रैल को तमिलनाडु के ही कोयंबटूर जिले में गैस सिलेंडर की डिलीवरी करने वाले एक शख्स ने शराब की लत से परेशान होकर सैनेटाइजर पी लिया। इससे उसकी मौत हो गई।

सबसे ज्यादा 73 मौतें यूपी में, दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र

कोरोना को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन में 11 मई तक 418 लोगों की मौत हुई है। इनमें से सबसे ज्यादा 73 मौतें उत्तर प्रदेश में हुई है। यहां मरने वाले ज्यादातर लोग या तो मजदूर थे या आर्थिक तंगी से परेशान थे।

यूपी के बाद सबसे ज्यादा 50 मौतें महाराष्ट्र में हुई है। इसका एक कारण ये भी हो सकता है कि मुंबई में प्रवासी मजदूरों की संख्या ज्यादा है। काम बंद होने के बाद ज्यादातर लोग मुंबई से अपने घर के लिए निकल पड़े थे। लेकिन, रास्ते में ही ज्यादा चलने से उनका दम टूट गया या फिर किसी हादसे का शिकार हो गए।



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Lockdown Deaths In India | India Coronavirus Lockdown Death In Maharashtra Madhya Pradesh Uttar Pradesh News Updates; Liquor Non-Availability Kills More Than 46


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