Skip to main content

सूर्य की रोशनी से बैक्टीरिया और वायरस को नष्ट करने की तैयारी, भविष्य में घर-ऑफिस में ऐसे उपकरण दिख सकते हैं

जब दुनिया कोरोनावायरस के संक्रमण से उबरने की जद्दोजहद में लगी है, तब कुछ वैज्ञानिक आशा बढ़ा रहे हैं कि शायद दशकों पुरानी एक तकनीक सेकीटाणुओं को हवा में नष्ट किया जा सकता है। इस तकनीक को अपर रूम अल्ट्रा वायलेट जर्मी साइडल इर्रेडिएशन कहते हैं।

आसान भाषा में इसका मतलब है सूर्य की रोशनी की ताकत को घर, दुकान या ऑफिस के अंदर ले आना। इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाए, तो बिना किसी दुष्प्रभाव के हवा में तैर रहे कीटाणु वो चाहे बैक्टीरिया हो, फंगस हो या कोरोना जैसा वायरस, नष्ट हो जाता है।

सूर्य की रोशनीडिसइंफेक्टेंट के तौर पर काम करती है

हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के ग्लोबल हेल्थ एंड सोशल मेडिसिन के प्रोफेसर डॉ. एडवर्ड नार्डेल कहते हैं कि पहले हम इस तकनीक का इस्तेमाल करने में संघर्ष करते थे, लेकिन अब हम जानते हैं कि यह तकनीक काम करती है। सूर्य की रोशनी डिसइंफेक्टेंट के तौर पर काम करती है, खासतौर पर इसकी अल्ट्रा-वायलेट किरणें हवा में तैरने वाले कीटाणुओं को नष्ट करने में कारगर है।

अब तक इस्तेमाल क्यों नहीं हुआ

इस टेक्नोलॉजी को बड़े स्तर पर अब तक इस्तेमाल न कर पाने के पीछे दो बड़े कारण हैं। पहला, स्कूल-कॉलेज में बचपन से ही दशकों से ये सिखाया जा रहा है कि अल्ट्रा वायलेट किरणें मनुष्य के लिए खतरनाक हैं क्योंकि ये न सिर्फ मनुष्य की त्वचा खराब करती हैं बल्कि इसके कारण कैंसर के पनपने का भी खतरा बढ़ता है।

अल्ट्रा वायलेट किरणों का इस्तेमाल महंगा

दूसरा कारण इसका इस्तेमाल महंगा होना है। उदाहरण के तौर पर किसी एक मध्यम आकार का वॉलमार्ट का वेयरहाउस अगर इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करें तो उसे कम से कम 75 लाख रुपए का खर्च आएगा। इस पर बिजली और रखरखाव का खर्च अलग। जो छोटे व्यापारी हैं उनके लिए ये खर्च वहन करना बहुत मुश्किल है।

न्यूयॉर्क इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर इस्तेमाल शुरू

न्यूयॉर्क अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर इस तकनीक का इस्तेमाल हाल ही में शुरू किया गया है। वहीं कोलंबिया यूनिवर्सिटी के रेडियोलॉजिकल रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर डेविड ब्रेनर का कहना है कि जैसा कहा जा रहा है कि संक्रमण दबने के बाद फिर उठेगा, शायद तब तक ये टेक्नोलॉजी दुनियाभर में इस्तेमाल के लिए तैयार होगी।

दीवारों पर लगेंगे अल्ट्रा वायलेट उपकरण

इस तकनीक में अल्ट्रा वायलेट कणों को छोड़ने वाले उपकरण दीवार पर लगाए जाते हैं। साथ में सीलिंग फैन भी लगाया जाता है। ताकि पंखा हवा को ऊपर खींच सके और उसमें मौजूद कीटाणु अल्ट्रा वायलेट किरणों का निशाना बन सकें। वैज्ञानिक कहते हैं कि अल्ट्रा वायलेट किरणें फंगस के डीएनए और वायरस के आरएनए को नष्ट कर देती हैं।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
न्यूयॉर्क इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर फर्श को साफ करने के लिए ऐसे रोबोट्स का इस्तेमाल किया जा रहा है। जो अल्ट्रा वायलेट किरणों के जरिए हर तरह के बैक्टीरिया और वायरस को खत्म करते हैं। (फाइल)


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2y1qhJs
via IFTTT

Comments

Popular posts from this blog

चुरू में पुलिस ने फेसबुक पर सेलिब्रिटीज का लाइव सेशन शुरू किया, 40 हजार लोग घरों के भीतर रहने लगे

लॉकडाउन के कारण दिनभर घरों में कैद रहने के बाद जैसे ही शाम के 5 बजते हैं तो लोग दूध और किराने के बहाने निकलना शुरू कर देते हैं। ऐसे में राजस्थान के चुरू में पुलिस ने नया आइडिया निकाला है। एसपी के निर्देश पर पुलिस ने शाम 5 से 7 बजे के बीच फेसबुक पर फिल्म, खेल, डांस, संगीत, योग, थिएटर से जुड़ी हस्तियों और मोटिवेशनल स्पीकर के लाइव सेशन शुरू कर दिए। अब रोजाना 2 हजार से ज्यादा लोग इन सेलिब्रिटीज से सवाल पूछते हैं। यही नहीं, हर शाम 30 से 40 हजार लोग बाहर निकलने की बजाय पुलिस के फेसबुक पेज से जुड़ने लगे हैं। आईपीएस एसोसिएशन ने भीएसपीतेजस्वनी गौतम के आइडिया की तारीफ की है। कई राज्यों के कलेक्टर और एसपी से इसे अपने जिलों में लागू करने के लिए गौतम सेसहयोग मांग रहे हैं। गौतम कहते हैं कि लॉकडाउन 3 मई तक है। इसलिए तय किया है कि इस सेशन को आगे तक बढ़ाए जाए। इसलिए दीपिका पादुकोण, पंजाबी सिंगर गुरु रांधावा, पंकज त्रिपाठी, महिमा चौधरी, लारा दत्ता सहित 16 मशहूर लोगों से बात हो चुकी है। सिंगर अनामिका की भी मंजूरी मिल गई है। गुरु रंधावा के सेशन के लिए संपर्क में हैं ताकि पंजाबी कम्युनिटी के लोग जुड़ सकें। ...

मोदी आज मुख्यमंत्रियों के साथ 5वीं बार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से चर्चा करेंगे, केंद्र ने राज्यों से कहा- अब आर्थिक गतिविधियों को गति दें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज सभीमुख्यमंत्रियों के साथ पांचवीं बार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग करेंगे। बैठक दोपहर 3 बजे से रात 8 बजे तक चलेगी, जिसमें सभी मुख्यमंत्रियों को बात रखने का मौका मिलेगा। लॉकडाउन का तीसरा फेज 17 मई को खत्म हो रहा है। ऐसे में मोदी मुख्यमंत्रियों से कोरोना से निपटने की रणनीति, लॉकडाउन की बंदिशें कम करने और आर्थिक गतिविधियां बढ़ाने पर सुझाव मांग सकते हैं। दूसरी ओर, केंद्र सरकार का फोकस अब इकोनॉमी को गति देने के लिए राज्यों में कामकाज शुरू कराने पर है। कैबिनेट सचिव राजीव गौबा ने रविवार कोराज्यों केचीफ सेक्रेटरी (मुख्य सचिव) और हेल्थ सेक्रेटरी (स्वास्थ्य सचिव) से बात की थी।गौबा ने कहा कि अब राज्य सरकारों को आर्थिक गतिविधियां चालू करने पर जोर देना चाहिए। सरकार प्रवासियों के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चला रही है। सभी राज्य इसमें ज्यादा से ज्यादा सहयोग करें और वंदे भारत मिशन के तहत विदेशों में फंसे लोगों की लौटने में मदद करें। कई राज्यों ने रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन पर सवाल उठाए सूत्रों के अनुसार, कैबिनेट सेक्रेटरी के साथ चर्चा में कई राज्यों ने रेज, ग्रीन और ऑरेंज जोन में ब...

ड्रोन अब तक आंख कान थे लेकिन अब हाथ भी, 13 राज्यों में 700 से ज्यादा ड्रोन कर रहे हैं निगरानी और दवा छिड़कने का काम

ड्रोन अब तक आंख कान थे लेकिन अब हाथ भी बन गए हैं। ड्रोन के जरिए पुलिस न सिर्फ मॉनिटरिंग कर रही है बल्कि कई जगह दवा का छिड़काव भी किया जा रहा है।खास बात ये है किबड़ी संख्या में ऐसे ड्रोन पायलट एकजुट हुए हैं, जो बिना कोई चार्ज लिए पुलिस और प्रशासन के लिए ड्रोन ऑपरेट कर रहे हैं।देशभर में 1400 से ज्यादा लोगों ने अपने ड्रोन पुलिस की मदद के लिए इस्तेमाल करने की इच्छा जताई है। हालांकि अभी करीब 720 ड्रोन से ही मॉनिटरिंग की जा रही है। सिर्फ गुजरात में ही 160 निजी ड्रोन काम पर लगे हुए हैं। जहां आदमी नहीं जा सकते, वहां ड्रोन पहुंच रहे हैं और पुलिस, प्रशासन के मददगार बन रहे हैं। आसमान में उड़ने वाले ये ड्रोन पुलिस की आंख, कान और हाथबने हुए हैं। गुजरात में मार्च से ही ड्रोन के जरिए निगरानी शुरू हो गई थी। गुजरात से शुरू हुआ इनिशिएटिव ड्रोन पायलट मुफ्त में सरकार की मदद के लिए आगे आए हैं। मार्च महीने में गुजरात के अहमदाबाद में 'इंडियन ड्रोन कोड' के नाम से एक इनिशिएटिव शुरू किया गया। इस इनशिएटिव को शुरू करने वाले निखिल मेठिया ने बताया कि, हमाराड्रोन लैब के नाम से स्टार्टअप है। कोरोनावाय...

ब्रिटेन में 45 दिन तक सिर्फ लक्षण से तय होते रहे कोरोना के मरीज; भारत-ब्रिटेन में संक्रमण साथ शुरू हुआ, पर हालात अलग

ब्रिटेन में 45 दिन तक बिना जांच के सिर्फ लक्षण के आधार पर कोरोना मरीज तय होते रहे। ब्रिटेन में पहला मरीज जनवरी के आखिरी हफ्ते में आया था, लेकिन इसकी पहचान आरटी-पीसीआर जांच से नहीं हुई थी। लक्षण के आधार पर सीटी स्कैन और चेस्ट एक्स-रे कर कोरोना की पुष्टि की गई थी। ऐसा 15 मार्च तक चलता रहा। तब तक 1100 मरीज मिले थे। 21 की मौत हो चुकी थी। मार्च के आखिरी में आरटी-पीसीआर किट पहुंची। भारत में पहला कोरोना मरीज 30 जनवरी को मिला था। भारत ने आरटी-पीसीआर जांच कर मरीज की पहचान की। आज भारत में 67 हजार से ज्यादा मामले हैं। जबकि ब्रिटेन में करीब 2.20 लाख केस आ चुके हैं। ब्रिटेन में पहले दो कोरोना मरीज चीन के दो यात्री थे। इसके बाद एक व्यापारी, जो चीन और हॉलैंड की यात्रा कर लौटे थे, उन्हें यह बीमारी हुई। मार्च के मध्य में सरकार ने इस बीमारी को कम्युनिटी ट्रांसमिशन बताया। शुरू में यहां के विशेषज्ञ मान रहे थे कि संक्रमण भयावह नहीं होगा। इसी से लॉकडाउन नहीं किया गया। हर्ड इम्युनिटी का रिस्क लिया गया, जो खतरनाक साबित हुआ। भले ही मरीजों की संख्या दो लाख के पार चली गई है, लेकिन इसे अब भी पीकनहीं कहा जा रहा...

अब तक 41.80 लाख संक्रमित और 2.83 लाख मौतें: लॉकडाउन प्रतिबंधों में ढील देने के बाद जर्मनी में मामले बढ़े

दुनिया में संक्रमितों की संख्या 41 लाख 80 हजार 137 हो गई है। 2 लाख 83 हजार 852 की मौत हुई है। इसी दौरान 14 लाख 90 लाख हजार 590 स्वस्थ भी हुए हैं। लॉकडाउन प्रतिबंधों में ढील देने के बाद जर्मनी में संक्रमण के मामले बढ़ गए हैं। रॉबर्ट कोच इंस्टीट्यूट के मुताबिक, जर्मनी में संक्रमण का रीप्रोडक्शन रेट फिलहाल 1 से बढ़कर 1.3 हो गई है यानी एक संक्रमित व्यक्ति ज्यादा लोगों को बीमार कर सकता है। कोरोनावायरस : सबसे ज्यादा प्रभावित 10 देश देश कितने संक्रमित कितनी मौतें कितने ठीक हुए अमेरिका 13,67,638 80,787 2,56,336 स्पेन 2,64,663 26,621 1,76,439 ब्रिटेन 2,19,183 31,855 उपलब्ध नहीं इटली 2,19,070 30,560 1,05,186 रूस 2,09,688 1,915 34,306 फ्रांस 1,76,970 26,380 56,038 जर्मनी 1,71,879 7,569 1,44,400 ब्राजील 1,62,699 11,123 64,957 तुर्की 1,38,657 3,786 92,691 ईरान 1,07,603 6,640 86,143 ये आंकड़ेhttps://ift.tt/37Fny4L से लिए गए हैं। जर्मनी: संक्रमण काआंकड़ाबढ़ा जर्मनी में लॉकडाउन में ढील देने के महज एक दिन बाद ही संक्रमण के मामले...

खेरताबाद में घटेगी गणेश प्रतिमा की ऊंचाई, हर साल यहां देश की सबसे ऊंची मूर्ति स्थापित होती है

कोरोनावायरस और लॉकडाउन का असर इस साल के त्योहारों पर भी पड़ने वाला है। इस साल 22 अगस्त से दस दिवसीय गणेश उत्सव शुरू होगा। हैदराबाद जिले में स्थित खेरताबाद का गणेश उत्सव देशभर में प्रसिद्ध है। यहां देश में सबसे ऊंची गणेश प्रतिमा स्थापित की जाती है। इस साल यहां गणेश उत्सव पर कोरोना का असर साफ दिख रहा है। हैदराबाद इस समय रेड जोन में है। इस कारण यहां सख्त लॉकडाउन है।पिछले साल यहां एक करोड़ की लागत से 61 फीट ऊंची, करीब 50 टन वजनी मूर्ति स्थापित की गई थी। 2020 मेंगणेश प्रतिमा की ऊंचाई घटने की संभावनाएं बन रही हैं। खेरताबाद में गणेश प्रतिमा की ऊंचाई कम रहेगी चर्चा तो ये है कि अगर लॉकडाउन और कोरोना का असर थोड़ा और आगे बढ़ता है तो संभवतः यहां की परंपरा के विपरीतबहुत छोटी प्रतिमा ही स्थापित की जा सकती है। हालांकि, समिति ने इस पर अभी कोई फैसला नहीं लिया है। लेकिन, ये तो लगभग तय है कि इस सालगणेश उत्सव का स्वरूप पिछले सालों की तरह भव्य नहीं होगा। तीन महीने पहले होता है काम शुरू 2019 में 61 फीट ऊंची मूर्ति बनाने का काम मई में शुरू हो गया था। लॉकडाउन के कारण अभी तक मूर्ति बनाने का काम शुरू नहीं...

पहाड़ पर चढ़ाई के बाद ही मौत के मुंह में पहुंचे; फेफड़े सफेद हो चुके थे, 32 दिन वेंटिलेटर पर रहने के बाद कोरोना से जीती जंग

(पाम बेलुक) मार्च के अंत में मैसाचुसेट्स की किम बेलो ने डॉ. से फोन पर पूछा- क्या मेरे पति लौट आएंगे?’ उनके 49 साल के पति जिम हॉस्पिटल में कोरोनोवायरस से जूझ रहे थे। डॉ. ने कहा- ‘हम कोशिश कर रहे हैं। अगर ईमानदारी से कहूं, तो बचने की संभावना कम है।’ किम बताती हैं- ‘जिम ने 7 मार्च को न्यू हैम्पशायर के 2000 मी. ऊंचे व्हाइट माउंटेन पर चढ़ाई की थी। लौटे, तो तेज बुखार था। खांसी और सीने में जकड़न होने लगी। डॉक्टर ने एंटीबायोटिक्स देकर घर भेज दिया। 6 दिन बाद 103 डिग्री बुखार और सांस लेने में तकलीफ बढ़ी। डॉक्टरों ने तुरंत वेंटिलेटर लगा दिया। जिम ने पूछा- अगर मैं जीवित नहीं लौटा तो... उन्होंने मुझे उसी तरह देखा, जब हम पहली बार मिले थे।’ मैसाचुसेट्स हॉस्पिटल के डॉ. पॉल करियर बताते हैं- ‘जिम का एक्स-रे देखकर हम हैरान रह गए। फेफड़े सफेद पड़ चुके थे। यह मेरी जिंदगी का सबसे खराब चेस्ट एक्स-रे था। हमें लगा कि उन्हें बचा नहीं पाएंगे। फिर भी एक्सपरिमेंटल ड्रग हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन, रेमडीसिविर और वेंटिलेटर आजमाया। इससे काम नहीं बना तो हेल मैरी सिस्टम अपनाया। इसके लिए वेंटिलेटर को 30 सेकंड के लिए हटाना थ...

न्यूयॉर्क में रहस्यमय बीमारी से 3 बच्चों की मौत, अमेरिका के 7 राज्यों में ऐसे 100 मामले सामने आए

अमेरिका के न्यूयॉर्क में रहस्यमय बीमारी से तीन बच्चों की मौत हो गई है। यहां इस बीमारी के 73 मामले आए हैं। 7 राज्यों में अब तक 100 ऐसे मामले आ चुके हैं। इस बीमारी वाले बच्चों की उम्र 2 से 15 साल है। गवर्नर एंड्रयू क्यूमो ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि रहस्यमय बीमारी वाले ज्यादातर बच्चों में सांस संबंधी लक्षण नहीं दिखे हैं। जिन बच्चों की मौत हुई है, उनमें भी नहीं दिखाई दिए। बीमारी का कारण जानने के लिए न्यूयॉर्क जीनोम सेंटर और रॉकफेलर यूनिवर्सिटी मिलकर रिसर्च कर रहे हैं। अब तक माता-पिता, हेल्थ एक्सपर्टयह सोचकर राहत महसूस कर रहे थे कि कोरोना से बच्चों की मौतें ज्यादा नहीं हुई हैं। अब उन्हें ज्यादा सतर्क रहना होगा। जिस समय क्यूमो मीडिया को नई बीमारी से मौतों की जानकारी दे रहे थे, उसी समय न्यूयॉर्क में कोरोना से 10 बच्चों की जान जाने की खबर आई। स्वास्थ्य विभाग जांच कर रहा है कि इन बच्चों की मौत रहस्यमय बीमारी से तो नहीं हुई। दुनिया: ब्रिटेन, फ्रांस, इटली और स्विट्जरलैंड में भी 50 केस यूरोपीय देशों में ब्रिटेन, फ्रांस, स्विटजरलैंड और इटली में भी इस रहस्यमय बीमारी के करीब 50 मामले आ...

ब्रिटेन के पीएम जॉनसन बोले- उम्मीद है कि वैक्सीन तैयार होगा, लेकिन इसकी गारंटी नहीं; 18 साल बाद भी हमारे पास सार्स वायरस का वैक्सीन नहीं

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कोरोना वैक्सीन को लेकर अहम बात कही है। उन्होंने सोमवार की रात कहा कि मैं ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में वैक्सीन तैयार करने बारे में कुछ उत्साहित करने वाली बातें सुन रहा हूं, लेकिन इसकी किसी तरह की गारंटी नहीं है। मुझे यकीन है कि मैं सही कह रहा हूं कि 18 साल के बाद भी हमारे पास सार्स वायरस का वैक्सीन नहीं है। जॉनसन ने कहा मैं आपसे इतना ही कह सकता हूं कि ब्रिटेन वैक्सीन बनाने की अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों में अग्रिम पंक्ति में है। उन्होंने कोरोना वैक्सीन तैयार करने में ब्रिटेन की भूमिका के बारे में पूछने पर यह बात कही। सरकार वैक्सीन बनाने में भारी रकम निवेश कर रही: जॉनसन ब्रिटिश पीएम ने कहा कि सरकार वैक्सीन तैयार करने के लिए भारी रकम भी लगा रही है। अगर आप मुझसे पूछेंगे कि क्या मैं लंबे समय तक ऐसी स्थिति नहीं रहने के बारे में निश्चित हूं तो मैं यह नहीं कह सकता। हो सकता है हमें इससे ज्यादा नर्म या सख्त रवैया अपनाना हो। हमें इससे निपटने के लिए और स्मार्ट तरीके अपनाने पड़े। यह सिर्फ एक संक्रमण नहीं है बल्कि भविष्य में भी इससे संक्रमण फैलने का खतरा है। ‘वैक...